करता हारता श्री ह्रींकारी, काली कालरयण कौमारी।
ससि–सेखरा सिधेसरि नारी, जग नीमवण जयो जडधारी ।। 1।।
हे देवी! आप जगत् की सृष्टि और संहार करने वाली हो। श्रीं और ह्रीं बीजमन्त्र आपके वाचक हैं। आप काल का प्रभाव नष्ट करने वाली काली हो। कौमारी चन्द्रशेखरा और सिद्धेश्वरी आपके ही नाम हैं। लोक में नारी आपका ही साकार रूप है। जगत् आपको नमन करता है। जड़ (असत्) तत्त्व को धारण करने वाली सत्स्वरूपिणी माँ ! आपकी जय हो।
धवा धवलगिर धव–धू धवला, क्रसना कुळजा कैला कमला।
चलाचला चामुण्डा चपला, विकटाविकट भू–बाला विमला ।। 2।।
हे देवी! आप धवलगिरि की स्वामिनी तथा दुर्जनों को कंपित करने वाली हो। आप श्वेत और श्याम वर्णों से शोभित हो। आप भक्तहित के लिए विभिन्न कुलों में अवतरित होती हो। कैला, कमला, चला, अचला,
चामुण्डा और चपला आपके ही रूप हैं। विकटासुर का वध करने के लिए विकट रूप धरने वाली तथा पृथ्वी के गर्भ से प्रकट होने वाली दधिमथीमाता आप ही हो।
सुभगा सिवा जयंती अंबा, परिया परपन्नं पालंबा ।
पीं सां चिति साखणि प्रतिबंबा, अथ आराधीजे अवलंबा ।। 3।।
हे देवी अम्बा ! आप सौभाग्यदायिनी तथा कल्याणमयी जयन्ती माता हो। आप पराशक्ति तथा शरणागत का पालन करनेवाली हो। पीं बीजमन्त्र आपकी पूर्णता का वाचक है। सां बीजमन्त्र दुर्गासप्तशती पाठ का फल देने वाले स्वरूप का वाचक है। आप साक्षीस्वरूपा तथा जगत् का आधार चितितत्त्व हो। जगत् के रूप में आप ही अपना प्रतिबिम्ब हो।
शं कालिका सारदा सचया, त्रिपुरा तारणि तारा त्रनया,
ओहं सोहं अखया अभया, आई अजया विजया उमया ।। 4।।
हे देवी ! शं बीजमन्त्र आपके शक्तिस्वरूप का वाचक है। आप कालिकामाता शारदामाता, सच्चियामाता, त्रिपुरामाता व तारिणी तारामाता हो। आप ॐ, सोऽहं, अक्षया, अभया, आई , अजया, विजया और उमा नामों से विख्यात हो।