(1)
हरि गुण गाय हरि गुण गाय
हरि गुण गाय यही गुण थाय
प्रगट हुई गंगा हरि पाय
ध्रुवजी अटळ हुआ हरि ध्याय
(2)
ध्रुव हरि मेरु तणै सिर धरिया
हरि पांडव पांचूँ ऊधरिया
वीसारै हरि ते वीसरिया
हरि रै नांम घणा नर तरिया
(3)
पांच क्रोड हूंता प्रहळाद
सात क्रोड हरचंद परसाद
नव जुजिठळ बारह बळिराज
अमरापुरा तेड़ीजै आज
(4)
हरि उद्धार कियो अमरीख
राख्यो रुकमांगद अत्रीख
तोय जनम हुइ तरिया तीख
सिवै कृष्ण मन आई सीख
(5)
हरिजी अहल्या दीधो अंग
सरीर कुबज्जा कीध सुचंग
भणतां पातक थायै भंग
गुण तत गहै लहै पद अंग
(6)
हरि तूठां हि टळै ग्रभवास
हरि तूठां अमरापुर वास
अवर छांड नर बीजी आस
बारठ एह वडो विसवास
(7)
हरि हरि कहतां जपियै जाप
हरि हरि कहतां तपियै ताप
हरि हरि कहतां मिटै सँतापईसर भणै अलख धन आप